दोस्तों Stockwale ब्लॉग में आप सभी का स्वागत है। इस लेख में हम आपको “support and resistance in hindi” के बारे में आसान भाषा में बताएँगे। अगर आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस के बारे में कहीं से सही जानकारी नहीं मिल रही तो आप सही जगह पर आये हैं। ये हमारा वादा है यदि आप इस लेख को अच्छे से और पूरा पढ़ेंगे तो आपके मन में सपोर्ट और रेजिस्टेंस को लेकर किसी तरह की दुविधा नहीं होगी।
Support And Resistance In Hindi | सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस
यदि हम आपको सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस को सरल भाषा में बताएं तो सपोर्ट का मतलब होता है सहारा लेना और रेजिस्टेंस का मतलब होता है रुकना या गिराना। टेक्निकल भाषा में इन्हे सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस कहा जाता है लेकिन सपोर्ट का मतलब demand और रेजिस्टेंस का मतलब supply zone माना जाता है। किसी भी स्टॉक को कहां खरीदना है और कहां पर बेचना है यह सब सपोर्ट रेजिस्टेंस की मदद से किया जाता है। केवल सपोर्ट रेजिस्टेंस ही सब कुछ नहीं होते इसके इलावा भी technical analysis में काफी कुछ आता है। तो चलिए सबसे पहले हम सपोर्ट के बारे में जानते हैं वो भी कुछ उदाहरण के साथ।
Support in Trading
मान लीजिये कोई स्टॉक 100 रूपए से गिरकर 50 रूपए आ गया। अब 50 रूपए का भाव इन्वेस्टर्स को कंपनी की valuation के हिसाब से सस्ता लग रहा है तो वो 50 रूपए के भाव पर उस स्टॉक को खरीदना चालू कर देंगे। जब सभी छोटे बड़े इन्वेस्टर्स 50 रूपए के भाव पर खरीदेंगे तो जाहिर सी बात है स्टॉक का भाव डिमांड होने की वजह से उप्पर जायेगा। जब इस स्टॉक का भाव 50 रूपए से बढ़कर 80 रूपए हो जायेगा तो 50 रूपए इस स्टॉक के लिए सपोर्ट zone बन जायेगा। तो इस तरह technical analysis के हिसाब से इस स्टॉक का सपोर्ट जोन 50 रूपए बन जायेगा।
उप्पर दिए गए उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि nifty 16800 रूपए के भाव से उप्पर गई थी। अब निफ़्टी का 16800 का भाव सपोर्ट जोन बन चूका था। जब दूसरी बार निफ़्टी 16800 के भाव पर वापिस आई तो उसने सपोर्ट का काम किया और निफ़्टी का भाव फिर से उप्पर गया। इस से हमे समझ में आता है कि निफ़्टी का 16800 का भाव एक अच्छा सपोर्ट जोन है जहाँ पर खरीदने वाले ज्यादा हैं।
अब आपने ये तो समझ लिया कि सपोर्ट पर जब भी किसी स्टॉक का भाव आता है तो वहां से भाव उप्पर जाने की संभावना होती है। लेकिन आपको ये भी जानना जरूरी है कि हर बार सपोर्ट जोन काम करेगा ये कोई जरूरी नहीं है। अगर सपोर्ट बनते हैं तो ये टूट भी जाते हैं। और यदि कोई सपोर्ट को तोड़कर भाव नीचे आ जाये तो अब वो सपोर्ट नहीं रहेगा।
यदि कोई सपोर्ट जोन टूट जाता है तो अब वो support नहीं बल्कि resistance की तरह काम करेगा। सपोर्ट के टूट जाने के बहुत से कारण होते हैं। क्यूंकि मार्किट में हर तरह की संभावना होती है। मार्किट में कुछ भी 100% नहीं है। एक सपोर्ट zone जितनी ज्यादा बार टेस्ट होगा वो उतना कमजोर होता जायेगा। ये बिलकुल वैसा है जैसे कि आप किसी दिवार पर अगर हथोड़े से वार करेंगे तो अंत में वह दीवार कमजोर होकर टूट जाएगी।
नीचे दिए गए उदाहरण से आप अच्छे समझ सकते है कि कैसे tatasteel में जब सपोर्ट टूटा तो वह resistance बन गया। जब मार्किट downtrend में होती है तो उसके द्वारा बनाये गए सभी सपोर्ट zone टूटते चले जायेंगे और वो बाद में रेजिस्टेंस का काम करने लगेंगे।
Support किन कारणों से बनते हैं?
अब आप ये तो समझ गए कि सपोर्ट होते क्या हैं और ये इनका काम क्या है। अब आपके मन ये दुविधा होगी कि ये सपोर्ट किन कारणों से बनते हैं। कब कोनसा स्टॉक कहां पर सपोर्ट लेगा इसके पीछे कई कारण होते हैं। नीचे हमने कुछ ऐसे कारण बताएं हैं जो सपोर्ट की तरह काम करते हैं।
Round Number Support – किसी भी स्टॉक में 50,100,150,200 ये सभी राउंड नंबर होते हैं जब भाव इनके पास आता है तो ये भी अच्छे सपोर्ट का काम करते हैं।
Valuation Support – हर कंपनी की अपनी Valuation होती है। यदि भाव कंपनी की Valuation के पास आ जाये तो यह भी अच्छे सपोर्ट का काम करती है।
Resistance Become Support – यदि कोई Resistance zone टूटा है तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि अब वो सपोर्ट का काम कर सकता है।
Previous Major Support Zone – मान लीजिये कोई stock काफी समय से नीचे गिर रहा है तो वह stock यदि किसी पुराने major support पर आता है तो उसके वहां सपोर्ट लेने की संभावना बढ़ जाती है।
Fibonacci 50% Support Level – मान लीजिये किसी स्टॉक का भाव 20 रुपये तक गया और अब वो स्टॉक गिरने लगा और 10 रूपए पर आ गया यानि ये स्टॉक आधा हो गया। यानि 10 रूपए का भाव इस स्टॉक का 50 प्रतिशत है। जब भी ऐसा हो तो 50% level भी एक सपोर्ट की तरह काम करता है और स्टॉक का भाव उप्पर चला जाता है।
ये सपोर्ट जोन क्यों और कैसे बनते हैं इसके पीछे और भी कई कारण होते हैं। लेकिन जब तक आप मार्किट को समय नहीं देंगे और प्रैक्टिस नहीं करेंगे तब तक आप इनके बारे में अच्छे से समझ नहीं पाएंगे। जब आपको मार्किट में 1 से 2 साल काम करते हुए हो जायेंगे तब आपको सब समझ आने लगेगा।
Resistance in Trading
तो चलिए अब जानते है कि Resistance क्या होता है और यह क्या काम करता है। रेजिस्टेंस का मतलब होता है रूकावट। यदि किसी स्टॉक का भाव रेजिस्टेंस के पास आता है तो वहां से भाव गिरने की संभावना होती है। मान लीजिये अगर किसी स्टॉक का भाव 20 रूपए से 50 रूपए आ गया। जिसने स्टॉक को सस्ते में खरीदा तो जाहिर सी बात है उसे मुनाफा हो रहा है।
जब 50 रूपए के भाव पर मुनाफा वसूली होगी तो इस स्टॉक का भाव नीचे आएगा और 50 रूपए का भाव इसके लिए रेजिस्टेंस Zone बन जायेगा। यानि इस स्टॉक के लिए 20 रूपए का भाव इसका सपोर्ट है और 50 रूपए का भाव इसका रेजिस्टेंस है। जब 20 रूपए पर भाव आएगा तो खरीददारी होगी और 50 रूपए पर भाव आएगा तो मुनाफा वसूली। तो अब आप समझ गए होंगे कि Resistance क्या होता है और क्या काम करता है।
उप्पर दिए गए उदाहरण से आप समझ सकते हैं कि निफ़्टी में 18636 एक पिछला रेजिस्टेंस था जहाँ से भाव काफी नीचे तक गिरा था। जब दूसरी बार भाव फिर से 18636 के पास आया तो उसने resistance का काम किया और भाव दोबारा नीचे आया। रेजिस्टेंस को कभी आप अंकों में नहीं नाप सकते यह केवल एक एरिया होता है थोड़ा बहुत भाव उप्पर जाकर भी नीचे आ सकता है। ऐसा क्यों होता है इसके बारे में आप fake breakout वाले लेख को पढ़ सकते हैं
जैसा कि हमने सपोर्ट के बारे में पढ़ा था कि सपोर्ट टूटने पर वह रेजिस्टेंस बन जाता है। बिलकुल इसका उल्टा जब रेजिस्टेंस टूट जाता है तो वह सपोर्ट की तरह काम करने लग जाता है। उप्पर दी गई तस्वीर की मदद से आप अच्छे से समझ सकते हैं।
Resistance बनने के मुख्य कारण
अब अपने जान लिया कि रेजिस्टेंस क्या काम करता है। लेकिन रेजिस्टेंस किन कारणों से बनते हैं चलिए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
Support Became Resistance – यदि कोई बड़ा सपोर्ट टूट जाता है तो इसकी अधिक संभावना होती है वो अब रेजिस्टेंस की तरह काम कर सकता है।
Round Number Resistance – जैसा कि हमने आपको सपोर्ट के राउंड नंबर के बारे में बताया था। अगर बढ़ती हुई मार्किट में राउंड नंबर सपोर्ट का काम कर सकते हैं तो गिरती हुई मार्किट में ये रेजिस्टेंस का भी काम कर सकते हैं।
Over Value Resistance – मान लीजिये कोई स्टॉक अधिक डिमांड होने की वजह से काफी वक़्त से बढ़ रहा है तो उस बढ़ते हुए स्टॉक में गिरावट तभी आएगी जब वह ओवर वैल्यू हो जायेगा। या फिर कोई राउंड नंबर वहां पर आ जाये। ऐसा तब होता है जब पिछला कोई रेजिस्टेंस ना हो।
Fibonacci 50% Resistance Level – यदि किसी स्टॉक का भाव 200 रूपए से गिरकर 100 रूपए आ गया। तो जब वह स्टॉक 100 रूपए पर सपोर्ट लेकर जब बढ़ना शुरू होगा तो 150 रूपए जो कि पूरी गिरावट का 50 प्रतिशत लेवल है वह रेजिस्टेंस की तरह काम करेगा। यानि गिरती हुई मार्किट में जब भी 50 प्रतिशत retracement होगी तब-तब वह लेवल रेजिस्टेंस का काम करेगा।
Conclusion :
मार्किट में सपोर्ट रेजिस्टेंस इसी तरह बनते रहते हैं और टूटते रहते हैं। बिना प्रैक्टिस के आप इनके मास्टर नहीं हो सकते। वो कहते हैं ना कि अनुभव इंसान को बहुत कुछ सीखा देता है। स्टॉक मार्किट एक ऐसा फील्ड है जहाँ बिना प्रैक्टिस और अनुभव के आप कामयाब नहीं हो सकते। हमें उम्मीद है अब आप सपोर्ट रेजिस्टेंस के बारे में अच्छे से समझ गए होंगे। अब आपके ऊपर निर्भर है कि आप इनकी कितनी अच्छे से प्रैक्टिस करते हैं।
Why support becomes resistance?
What is meaning of support and resistance?
Demand की वजह से जब downtrend में भाव कुछ समय के लिए रुकता है तो उसे सपोर्ट कहते हैं। और supply होने की वजह से जब एक uptrend में भाव अस्थायी रूप से रुकता है तो उसे रेजिस्टेंस कहते हैं।
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